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The  Idea of Ancient India (Hindi)/Prachin Bharat Ki Avadharna/प्राचीन भारत की अवधारणा

The Idea of Ancient India (Hindi)/Prachin Bharat Ki Avadharna/प्राचीन भारत की अवधारणा

Dharm, Rajniti Aur Puratatwa Par Nibandh/धर्म, राजनीति और पुरातत्त्व पर निबंध

Upinder Singh/उपिंदर सिंह
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Paperback / Hardback

इतिहासकारों के बीच पुरातनता और उसके काल-विभाजन की अवधारणा को लेकर हुए लंबे वाद-विवादों के परिणामस्वरूप आजकल ‘प्राचीन’ जैसे विशेषणों के प्रयोग में भारी कमी आ गई है और उसके स्थान पर ‘प्रारंभिक’ शब्द को अधिक तरजीह दी जाने लगी है। वैसे ‘प्राचीन’ में गहराई है, रहस्य और स्पंदन है। प्राचीन भारत की अवधारणा विचारों की बहुलता के साथ अतीत और साथ-ही-साथ ऐतिहासिक व्याख्या का एक मूलभूत हिस्सा है। इसलिए ‘प्राचीन भारत की अवधारणा’ पूरे भारत के, या कह सकते हैं दक्षिण एशिया के प्राचीन इतिहास को समझने के अनंत तरीकों से जोड़ती है। यह पुस्तक पुरालेखीय आँकड़ों के विश्लेषण और अभिलेखों को उनके विस्तृत संदर्भों में रखकर देखने के साथ पुरातत्व और प्राचीन स्थलों के आधुनिक इतिहास का भान कराती है। इसमें राजनीतिक विचारों एवं व्यवहार का संगम तो दिखता ही है, भारत से बाहर एशिया का दृश्यपटल भी परिलक्षित होता है।

Imprint: Penguin Swadesh

Published: Dec/2024

ISBN: 9780143466703

Length : 578 Pages

MRP : ₹499.00

The Idea of Ancient India (Hindi)/Prachin Bharat Ki Avadharna/प्राचीन भारत की अवधारणा

Dharm, Rajniti Aur Puratatwa Par Nibandh/धर्म, राजनीति और पुरातत्त्व पर निबंध

Upinder Singh/उपिंदर सिंह

इतिहासकारों के बीच पुरातनता और उसके काल-विभाजन की अवधारणा को लेकर हुए लंबे वाद-विवादों के परिणामस्वरूप आजकल ‘प्राचीन’ जैसे विशेषणों के प्रयोग में भारी कमी आ गई है और उसके स्थान पर ‘प्रारंभिक’ शब्द को अधिक तरजीह दी जाने लगी है। वैसे ‘प्राचीन’ में गहराई है, रहस्य और स्पंदन है। प्राचीन भारत की अवधारणा विचारों की बहुलता के साथ अतीत और साथ-ही-साथ ऐतिहासिक व्याख्या का एक मूलभूत हिस्सा है। इसलिए ‘प्राचीन भारत की अवधारणा’ पूरे भारत के, या कह सकते हैं दक्षिण एशिया के प्राचीन इतिहास को समझने के अनंत तरीकों से जोड़ती है। यह पुस्तक पुरालेखीय आँकड़ों के विश्लेषण और अभिलेखों को उनके विस्तृत संदर्भों में रखकर देखने के साथ पुरातत्व और प्राचीन स्थलों के आधुनिक इतिहास का भान कराती है। इसमें राजनीतिक विचारों एवं व्यवहार का संगम तो दिखता ही है, भारत से बाहर एशिया का दृश्यपटल भी परिलक्षित होता है।

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