© 2020 Penguin India
महात्मा गांधी की हत्या का एक गहन विश्लेषण। इसमें इस बात की व्याख्या है कि क्या यह सिर्फ एक सनकी की करतूत थी या पूरा समाज किसी न किसी रूप में इसके लिए अप्रत्यक्ष तरीके से जिम्मेवार था जिसका गांधी के मूल्यों में विश्वास कम हो रहा था? यह किताब गांधी के दिल्ली में आखिरी छह महीने के प्रवास पर आधारित है जहाँ उन्होंने अपने जीवन का आखिरी जादू गढ़ा था और वो था अपनी प्राणों की बलि देकर देश की एकता की रक्षा करना। यह किताब महात्मा के जीवन से सबक लेते हुए हमें अपनी गलतियों से रूबरू कराती है और पाश्चाताप की एक खिड़की मुहैया कराती है। यह गांधी की मृत्यु पर एक शानदार, दूरगामी और विद्वतापूर्ण शोध है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN: 9780143451419
Length : 368 Pages
MRP : ₹599.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN:
Length : 368 Pages
MRP : ₹599.00
महात्मा गांधी की हत्या का एक गहन विश्लेषण। इसमें इस बात की व्याख्या है कि क्या यह सिर्फ एक सनकी की करतूत थी या पूरा समाज किसी न किसी रूप में इसके लिए अप्रत्यक्ष तरीके से जिम्मेवार था जिसका गांधी के मूल्यों में विश्वास कम हो रहा था? यह किताब गांधी के दिल्ली में आखिरी छह महीने के प्रवास पर आधारित है जहाँ उन्होंने अपने जीवन का आखिरी जादू गढ़ा था और वो था अपनी प्राणों की बलि देकर देश की एकता की रक्षा करना। यह किताब महात्मा के जीवन से सबक लेते हुए हमें अपनी गलतियों से रूबरू कराती है और पाश्चाताप की एक खिड़की मुहैया कराती है। यह गांधी की मृत्यु पर एक शानदार, दूरगामी और विद्वतापूर्ण शोध है।
मकरंद आर पराजंपे एक आलोचक, कवि, उपन्यासकार और पब्लिक इंटेलेक्चुअल हैं। उनकी शिक्षा दीक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज और अरबाना-शैम्पेन के यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय हुई जहाँ उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर और पीएचडी की उपाधि हासिल की। वर्तमान में वह दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अंग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर हैं। वे कई महत्वपूर्ण अकादमिक पदों पर रह चुके हैं और उनकी दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हैं जिनमें कल्चरल पॉलिटिक्स इन मॉडर्न इंडिया: पोस्टकॉलोनियल प्रोस्पेक्ट्स, कलरफुल कॉस्मोपॉलिटेनिज़्म, ग्लोबल प्रोक्सिमिटिज़, मेकिं ग इंडिया : कॉलोनियलिज्म, नेशनल कल्चर और इंडियन इंग्लिश लिटरेच र एंड स्वामी विवेकानंद : ए कं टेम्परेरी रीडर शामिल हैं।