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अलका बेहद परेशान है। कहती तो कुछ नहीं, बस गुमसुम-सी अकेली बैठी रहती है। लगता है, एकांत में रोती भी रहती है।
अब रो लेना ठीक है, लेकिन अगर यहाँ ब्याह हो जाए तो जीवन-भर रोती रहेगी।
सगाई के बाद उभरकर आती लड़के वालों की कमियों एवं छिपाई गई बातों की सच्ची कहानी। कन्या-पक्ष की मानसिक ऊहापोह तथा बेचैनियों की तिलमिला देने वाली कथा। सफल उपन्यासकार दत्त भारती का एक ऐसा उपन्यास, जो आपको रुलाकर रख देगा।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jun/2024
ISBN: 9780143468134
Length : 200 Pages
MRP : ₹199.00
Imprint: Audiobook
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jun/2024
ISBN:
Length : 200 Pages
MRP : ₹199.00
अलका बेहद परेशान है। कहती तो कुछ नहीं, बस गुमसुम-सी अकेली बैठी रहती है। लगता है, एकांत में रोती भी रहती है।
अब रो लेना ठीक है, लेकिन अगर यहाँ ब्याह हो जाए तो जीवन-भर रोती रहेगी।
सगाई के बाद उभरकर आती लड़के वालों की कमियों एवं छिपाई गई बातों की सच्ची कहानी। कन्या-पक्ष की मानसिक ऊहापोह तथा बेचैनियों की तिलमिला देने वाली कथा। सफल उपन्यासकार दत्त भारती का एक ऐसा उपन्यास, जो आपको रुलाकर रख देगा।
आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक दत्त भारती ने कहानी, कविताओं और लेखों के अलावा कई सौ उपन्यास लिखकर साहित्य में अपना एक अलग विशिष्ट स्थान बनाया है। घर और स्कूल से प्राप्त आर््यसमाजी संस्कार, विश्वविद्यालय का साहित्यिक वातावरण, देशभर में होने वाली राजनैतिक हलचलें, बाल्यावस्था में आर्थिक संकट इन सबने आपको अति संवेदनशील, और विचारक बना दिया, जो आपके लेखन का आधार बना। आपको समाजसेवा एवं लेखन के लिए कई पुरस्कार भी मिले हैं।