© 2020 Penguin India
देश के हालात इतने बुरे हो गए हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम से लेकर भगवान बुद्ध, कालिदास, शाहजहां, महात्मा गांधी, चचा गालिब और प्रेमचन्द भी हक्के-बक्के हैं। उन्हें अब कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। अब तो रावण को भी गुस्सा आने लगा है। इस पुस्तक में राजनीति, बाज़ार, मीडिया और भूमंडलीकरण से उत्पन्न विद्रूप स्थितियों को व्यंग्य के माध्यम से कहने की कोशिश है, जो आज के दौर की उलटबांसी हो गई है। यहाँ पढ़िए, गांधी जी चैनल को क्या इंटरव्यू दे रहे हैं? गालिब इलेक्शन पर क्या बोल रहे हैं? महँगाई के बारे में कालिदास क्या कह रहे हैं? घड़ियाल भारतीय राजनीति पर क्या टिप्पणी कर रहा है? बाघ ‘लव’ में असफल होकर क्यों आत्महत्या कर रहा है? हनुमान की व्यथा क्या है और भूमंडलीकरण के दौर में कुत्ते का दर्द क्या है?
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jun/2024
ISBN: 9780143468288
Length : 176 Pages
MRP : ₹199.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jun/2024
ISBN:
Length : 176 Pages
MRP : ₹199.00
देश के हालात इतने बुरे हो गए हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम से लेकर भगवान बुद्ध, कालिदास, शाहजहां, महात्मा गांधी, चचा गालिब और प्रेमचन्द भी हक्के-बक्के हैं। उन्हें अब कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। अब तो रावण को भी गुस्सा आने लगा है। इस पुस्तक में राजनीति, बाज़ार, मीडिया और भूमंडलीकरण से उत्पन्न विद्रूप स्थितियों को व्यंग्य के माध्यम से कहने की कोशिश है, जो आज के दौर की उलटबांसी हो गई है। यहाँ पढ़िए, गांधी जी चैनल को क्या इंटरव्यू दे रहे हैं? गालिब इलेक्शन पर क्या बोल रहे हैं? महँगाई के बारे में कालिदास क्या कह रहे हैं? घड़ियाल भारतीय राजनीति पर क्या टिप्पणी कर रहा है? बाघ ‘लव’ में असफल होकर क्यों आत्महत्या कर रहा है? हनुमान की व्यथा क्या है और भूमंडलीकरण के दौर में कुत्ते का दर्द क्या है?