© 2020 Penguin India
‘प्राचीन भारत भूमि को भारतवर्ष के नाम से जाना जाता था। उस समय दो परिवारों के बीच एक झगड़ा शुरू हुआ, जो धीरे-धीरे रक्तपात में बदल गया। कुरु वंश के चचेरे भाइयों के बीच लड़ा गया यह भयानक युद्ध अब भारत की पौराणिक कथाओं और इतिहास का हिस्सा बन चुका है। तब से लाखों बार बताई और दोहराई गई महाभारत की यह कथा हार और जीत के बारे में तो है ही, साथ ही विनयशीलता और साहस के बारे में भी है। यह अब तक सुनाई गई सबसे महान गाथा है।’
नमिता गोखले भारत के सबसे समृद्ध साहित्यिक खज़ाने में से मनुष्यों और देवताओं की इस कालातीत कहानी को नई पीढ़ी के लिए साफ-सुथरे ढंग से फिर सुनाकर उसमें छिपी वीरता, छल, महिमा और निराशा की कहानियाँ सामने लाती हैं। चित्रकार और एनिमेटर शुद्धसत्व बसु की बनाई विचारशील चित्रों की शानदार कड़ी मनोहारी दृश्यों के ज़रिए इस महाकाव्य को साकार करती है। अपनी सामग्री और प्रस्तुति में बेजोड़, महाभारत – नई पीढ़ी के लिए हर पाठक को पसन्द आएगी।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Oct/2023
ISBN: 9780143449850
Length : 175 Pages
MRP : ₹399.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Oct/2023
ISBN:
Length : 175 Pages
MRP : ₹399.00
‘प्राचीन भारत भूमि को भारतवर्ष के नाम से जाना जाता था। उस समय दो परिवारों के बीच एक झगड़ा शुरू हुआ, जो धीरे-धीरे रक्तपात में बदल गया। कुरु वंश के चचेरे भाइयों के बीच लड़ा गया यह भयानक युद्ध अब भारत की पौराणिक कथाओं और इतिहास का हिस्सा बन चुका है। तब से लाखों बार बताई और दोहराई गई महाभारत की यह कथा हार और जीत के बारे में तो है ही, साथ ही विनयशीलता और साहस के बारे में भी है। यह अब तक सुनाई गई सबसे महान गाथा है।’
नमिता गोखले भारत के सबसे समृद्ध साहित्यिक खज़ाने में से मनुष्यों और देवताओं की इस कालातीत कहानी को नई पीढ़ी के लिए साफ-सुथरे ढंग से फिर सुनाकर उसमें छिपी वीरता, छल, महिमा और निराशा की कहानियाँ सामने लाती हैं। चित्रकार और एनिमेटर शुद्धसत्व बसु की बनाई विचारशील चित्रों की शानदार कड़ी मनोहारी दृश्यों के ज़रिए इस महाकाव्य को साकार करती है। अपनी सामग्री और प्रस्तुति में बेजोड़, महाभारत – नई पीढ़ी के लिए हर पाठक को पसन्द आएगी।
नमिता गोखले ग्यारह फ़िक्शन समेत इक्कीस किताबों का लेखन और कई संकलनों का सम्पादन कर चुकी हैं। उनका लिखा पहला-पहल उपन्यास 1984 में प्रकाशित हुआ और ख़ासा सराहा गया था। उनकी लिखी घटोत्कच के मायाजाल में बच्चों और बड़ों के बीच समान रूप से लोकप्रिय रही है। गोखले जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल की को-फ़ाउंडर और को-डायरेक्टर हैं। लेखन के साथ ही बहुभाषी भारतीय साहित्य और अन्तर-सांस्कृतिक साहित्यिक संवाद के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए उन्हें जाना जाता है। उन्हें 2017 में साहित्य के लिए प्रतिष्ठित प्रथम शताब्दी राष्ट्रीय पुरस्कार (सेंटेनरी नेशनल अवॉर्ड) मिला, और वो 2021 के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता रहीं। हाल ही में उन्हें नीलिमारानी साहित्य सम्मान 2023 से भी सम्मानित किया गया।