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Path Ke Davedar/पथ के दावेदार

Path Ke Davedar/पथ के दावेदार

Sharatchandra/शरतचन्द्र
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पथ के दावेदार में हिंसा के पथ से चलनेवाली क्रान्ति की तैयारी का एक चित्र है। इस उपन्यास के अनुवादक और संक्षेपकार श्रीरामनाथ ‘सुमन’ ने इसे हिन्दी में इस प्रकार रूपांतरित किया है कि पाठकों को लगता है कि यह मूलतः हिन्दी में ही लिखी गई एक महान रचना है।
आजीविका के नाम पर बंगाली युवा ब्राह्मण अपूर्व बर्मा (अब म्यांमार) चला तो गया किंतु वहां परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि वह क्रांतिकारियों का हमदर्द बन गया। शायद इस के पीछे युवा भारती का आकर्षण भी एक कारण रहा हो।
बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन की पृष्ठभूमि पर रचित इस उपन्यास के माध्यम से ‘नारी वेदना के पुरोहित’ शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने क्रांतिकारी गतिविधियों के साथ-साथ तत्कालीन समाज में व्याप्त छुआछूत, जातिपांति, ऊंचनीच आदि सामाजिक बुराइयों को रेखांकित किया है।

Imprint: penguin swadesh

Published: Dec/2023

ISBN: 9780143465331

Length : 112 Pages

MRP : ₹199.00

Path Ke Davedar/पथ के दावेदार

Sharatchandra/शरतचन्द्र

पथ के दावेदार में हिंसा के पथ से चलनेवाली क्रान्ति की तैयारी का एक चित्र है। इस उपन्यास के अनुवादक और संक्षेपकार श्रीरामनाथ ‘सुमन’ ने इसे हिन्दी में इस प्रकार रूपांतरित किया है कि पाठकों को लगता है कि यह मूलतः हिन्दी में ही लिखी गई एक महान रचना है।
आजीविका के नाम पर बंगाली युवा ब्राह्मण अपूर्व बर्मा (अब म्यांमार) चला तो गया किंतु वहां परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि वह क्रांतिकारियों का हमदर्द बन गया। शायद इस के पीछे युवा भारती का आकर्षण भी एक कारण रहा हो।
बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन की पृष्ठभूमि पर रचित इस उपन्यास के माध्यम से ‘नारी वेदना के पुरोहित’ शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने क्रांतिकारी गतिविधियों के साथ-साथ तत्कालीन समाज में व्याप्त छुआछूत, जातिपांति, ऊंचनीच आदि सामाजिक बुराइयों को रेखांकित किया है।

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