जमशेटजी टाटा पर आधारित पुस्तक भारत के महान उद्योगपति और टाटा समूह के संस्थापक की प्रेरणादायक जीवन यात्रा को दर्शाती है। यह पुस्तक उनके उद्यमशील विचारों, दूरदर्शिता और देशभक्ति को रेखांकित करती है। जमशेटजी ने भारतीय उद्योगों की नींव रखते हुए टाटा स्टील, टाटा पावर और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस जैसे संस्थानों की स्थापना की। उन्होंने भारत को आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा और उसे साकार करने की दिशा में कार्य किया। यह पुस्तक युवाओं को संघर्ष, समर्पण और नवाचार की प्रेरणा देती है। जमशेटजी टाटा का जीवन एक सच्चे राष्ट्रनिर्माता की कहानी है।
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Jyotirling (Hindi) / ज्योतिर्लिंग
हिंदू त्रिदेवों में भगवान शिव कई आयामों वाले देवता हैं। स्वभाव से उग्र एवं दयालु भगवान शिव जीवन की द्वैतता के प्रतीक हैं। शैव धर्म के केंद्र में शिव की पूजा ही है। शिवलिंग और बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों में श्रद्धालुओं की इतनी अधिक आस्था है कि वे अनादि काल से ही इसे अपना तीर्थस्थल मानते आ रहे हैं।
ये प्रतिष्ठित स्तंभ व्यक्तिगत कथाओं और विद्वतापूर्ण शोध का हिस्सा बन गए हैं। इस पुस्तक के लेखकों में अमित कपूर, बिबेक देबरॉय, विभव कपूर और कॉनर मार्टिन शामिल हैं। ये सभी लेखक इन ज्योतिर्लिंगों से जुड़ी कहानियों को संजोने के अलावा उनके सार और समय के साथ उनकी शाब्दिक और रूपक यात्राओं पर विचार करते हैं।
Rani Sarandha tatha anya kahaniya/रानी सारंधा तथा अन्य कहानियाँ
रानी सारंधा में नायिका मान-मर्यादा के लिए आत्मत्याग और बलिदान का सजीव उदाहरण है। रानी सारंधा मुगलों से घिर जाने पर भी अपने पति ओरछा नरेश चंपतराय की बात मानते हुए उनके सीने में तलवार मारकर पुन: अपनी भी उसी तलवार से हत्या कर देश के लिए बलिदान हो जाती है। इस तरह भारतीय इतिहास में रानी सारंधा अग्रणी स्थान पाती है।
इसी के साथ प्रेमचंद की कई अन्य कहानियाँ भी इस संग्रह में दी गई हैं, जो प्रेरक भी हैं और बेहद रोचक भी। अन्य कहानियाँ भी इतिहास के अनछुए पन्नों से निकली ऐसी कथाएँ हैं, जो देश और धर्म के लिए बलिदान होने की सीख ही नहीं, वरन देश की रक्षा के लिए शत्रुओं के विनाश की शिक्षा भी देती हैं।
Rekhaon Mein Chhipa Bhagya/रेखाओं में छिपा भविष्य
आपके हाथ में आपका भाग्य और भविष्य छिपा हुआ है। ये रेखाएँ आपके अतीत और आने वाले समय की हर बात को खोलकर बता देती हैं।
डॉ. एल. आर. चौधरी तंत्र सम्राट तो हैं वह हस्तरेखा-विज्ञान के महान विशेषज्ञ भी हैं। उन्होंने व्यावहारिक ज्ञान से भरपूर पुस्तक लिखी है रेखाओं में छिपा भविष्य। वे इस कला के विकास का विश्लेषण भी करते हैं; और सबकुछ खोलकर कुछ इस तरह सामने रख देते हैं, मानो सच्चे जीवन की सच्ची कहानी कह रहे हों।
यह संपूर्ण पुस्तक चित्रों से सज्जित है और क्रमवार आपको एक-एक पाठ पढ़ाती है। रोग, विपत्ति, दुर्घटना, व्यापार में हानि, आत्महत्या की प्रवृत्ति, हताशा, दुख—सभी की इसमें पूर्व ज्ञान की विधि बताई गई है, ताकि मनुष्य उनसे सतर्क रहे और समय आने पर जूझने की हिम्मत जुटा सके। इस से एक लाभ यह भी है कि जीवन में सफलता और उन्नति के रास्ते भी सुझाती है।
Sabrang Mohbhang/सबरंग मोहभंग
“तोड़ दो अपने घेरे को! रुककर देखो, कौन दौड़ा जा रहा है? बीच में कौन है? इस खेल का अंत कहाँ है? अपने-आपसे प्रश्न करो—जाना कहाँ है? ऐसा क्यों है? यह हो क्या रहा है? हमसे कराया क्यों जा रहा है? हे माँ! हमें शिव का मस्तिष्क दो, कृष्ण का हृदय दो, राम का कर्म दो, गांधी का सत्य दो!”
अपनी ही संस्कृति को जीर्ण पुरातन कहकर त्याग फेंकने वाले भारतीयों का पश्चिम के प्रति हो रहे मोह को भंग करने वाला अत्यंत विचारोत्तेजक तथा मनोरंजक नाटक दिया गया है इस पुस्तक में।
आज के नाटककारों की अगली पंक्ति के बहुचर्चित नाटककार लक्ष्मीनारायण लाल की यह नाट्यकृति कई पुरस्कारों से सम्मानित की जा चुकी है।
यह आधुनिक हिंदी साहित्य का प्रथम संपूर्ण लीला नाटक है, जिसका सफल मंचन नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा द्वारा राजधानी में किया गया। उस मंचन के चित्रों सहित प्रस्तुत है यह नाट्य-साहित्य तथा हिंदी-रंगमंच का गौरवशाली ग्रंथ।
Sadgati Tatha Anya Kahaniya/सद्गति तथा अन्य कहानियाँ
सद्गति कहानी सवर्ण द्वारा अछूत पर किए गए अत्याचार का मार्मिक चित्र प्रस्तुत करती है। दुक्खी अपने पुत्र के विवाह के लिए शुभ लग्न निकलवाने पंडित जी के घर जाता है। पंडित उसे लकड़ी फाड़ने के काम पर लगा देता है। भूख और प्यास से छटपटाता हुआ दुक्खी वहीं ढेर हो जाता है और पंडित जी भोर में उसके पाँव में रस्सी बाँधकर गाँव के बाहर फेंक देते हैं और लौटकर अपने शुद्धिकरण में लग जाते हैं।
इसी के साथ इस संग्रह में प्रेमचंद की अन्य श्रेष्ठ कहानियाँ भी दी गई हैं, जो प्रेरक भी हैं और बेहद रोचक भी। सभी कहानियाँ सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सशक्त आवाज़ उठाने की शक्ति रखती हैं।
Sangram Tatha Prem ki Vedi/संग्राम तथा प्रेम की वेदी
विश्व के महान कथा-शिल्पी प्रेमचंद ने अपने नाटक संग्राम में जमींदार और किसान की शाश्वत समस्या को उजागर किया है। सबलसिंह एक जमींदार है, जो अपने छल-बल से गरीब किसान हलधर को जेल भिजवाकर उसकी नवेली सुंदर पत्नी राजेश्वरी को अपना बनाना चाहता है।
राजेश्वरी यह सब जानती है और अपमान का बदला लेने खुद ही जमींदार के पास पहुँचती है। सबल सिंह जब अपना वासनायुक्त प्रेम प्रकट करता है, तब वह सबकुछ बता देती है। जीत नारी की होती है और जमींदार का घर बर्बाद हो जाता है।
इसी संग्रह की एक अन्य कृति प्रेम की वेदी भी एक सशक्त रचना है, जिसमें प्रेम के शाश्वत सत्य को उद्घाटित किया गया है।
कथा-सम्राट के गौरव से विभूषित संसार के अग्रणी कथाकारों में प्रतिष्ठित प्रेमचंद की ये कृतियाँ संपूर्ण रूप से प्रामाणिक मूल पाठ हैं।
Tapti Dupahri/तपती दोपहरी
तपती दोपहरी अभिमन्यु अनत का एक अतयंत हृयस्पर्शी उपन्यास है, जिसमें मारिशस के एक निर्धन हिंदू-परिवार की रुला देने वाली कहानी दी गई है, इसमें इस द्वीप के शोषितों की दर्द भरी ज़िंदगियों की जीती-जागती तस्वीर पेश की गई है। अनुभूति की तीव्रता और रोचकता की दृष्टि से यह उपन्यास बेजोड़ है। इसमें अपने आस-पास के माहौल से लाचार व्यक्ति के भीतर उठती आँधी का मनोवैज्ञानिक चित्रण बड़े ही सधे ढंग से किया गया है। अध्यापन, संपादन और लेखन से एक साथ जुडे अभिमन्यु अनत रंगमंच से भी संबद्ध रहे हैं और अवकाश के क्षणों में पेंटिंग्स बनाने का भी शौक रखते हैं। इसीलिए उनकी इस कृति में जीवन के तमाम रंगों की झलक एक साथ दिखाई पड़ती है।
Thank You Mr. Glad!/थैंक यू मिस्टर ग्लाड!
मराठी के इसी नाम से प्रकाशित बेस्टसेलर एवं अत्यंत चर्चित नाटक का यह हिंदी अनुवाद है। यह नाटक दो चरित्रों के संघर्ष का नाटक है। एक हैं—एंग्लो इंडियन जेलर मिस्टर ग्लाड, जिनके नाम से ही कैदियों और जेल-कर्मचारियों की रूहें काँपती हैं, जिनके कदमों की आहट पाकर पेड़ों पर बैठे परिंदे भी सहमकर चहचहाना बंद कर देते हैं, लेकिन वे ख़ुद अंतर्द्वंद्व का शिकार हैं। दूसरी ओर है वीरभूषण पटनायक एक नक्सलवादी—जिसे फाँसी की सज़ा देकर जेल भेजा जाता है। इन दोनों का आमना-सामना होते ही दो व्यक्तियों का टकराव शुरू हो जाता है। अंत तक टकराव चलता रहता है और प्रेक्षक निर्णय नहीं कर पाता कि आख़िर जीत किसकी हुई।
यह नाटक प्रकाशन के पूर्व ही कई जगह मंचित हो चुका है। गुजराती में इसका मंचन हो रहा है और इसी नाटक पर इसी नाम से एक हिंदी फिल्म भी बन चुकी है।
Vaishravani/वैश्रवणी
वैश्रवणी रावण की बहन एवं विद्युतजिह्वा की धर्मपत्नी थी। शादी के कुछ ही दिन बाद यह विधवा हो गई थी। यह राम से पुनर्विवाह करना चाहती थी, लेकिन राम और लक्ष्मण दोनों ने ही इससे विवाह करने से इनकार कर दिया। वैश्रवणी ने सोचा कि यह सब सीता के कारण हुआ तो, जब इन्होंने सीता पर हमला किया तो लक्ष्मण ने इनके नाक-कान काटकर इन्हें कुरूप बना दिया।
यह उपन्यास इन्हीं वैश्रवणी के जीवन पर आधारित है। मूलतः यह उपन्यास उड़िया भाषा में लिखा गया और बेस्टसेलर रहा। 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा इस कृति को कई अन्य पुरस्कार मिल चुके हैं।