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Power Within

Western thought on leadership is trait-oriented; it emphasizes the importance of ‘being a leader’. Indian leadership offers a contrast—it focuses on the ‘exercise of leadership’. Power Within introspects on this practice as it captures the civilizational wisdom of Bharat through the lived experience of Prime Minister Narendra Modi. The book delves into the fifty years of his public life and explores how he discovered his purpose, the seeds of which were sown in his formative years. Poignant anecdotes from his colleagues shed light on how his relentless hard work and communicative approach propelled him to the prime ministerial post. They also underscore his constant quest for self-discovery in the service of others.

In a carefully crafted narrative, R. Balasubramaniam captures Modi’s leadership journey and interprets it
through Western and Indic lenses, amalgamating them to provide a road map for those who aspire to a life of public service.

Wise About My Body

Right now, your body is VERY busy.

Even when you’re sleeping, your body is breathing, pumping blood and keeping you healthy!

But HOW does it work?

This bright and easy-to-read body book introduces children to the wonders of the human body. Packed with bite-sized facts and easy-to-understand explanations, this engaging book is perfect for curious minds.

With gorgeous and vibrant illustrations by Ekaterina Trukhan, Wise About My Body offers children a clear introduction to the body, showcasing how it works, what it can do and how a body can be looked after.

Priti-Katha/प्रीति-कथा

आज के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार नरेन्द्र कोहली की लेखनी से उपजा एक प्रेम आख्यान है प्रीति-कथा। इस उपन्यास में प्रेम दर्शन की तमाम बारीकियों को रेखांकित किया गया है और ज़िंदगी की कुछ आधारभूत सच्चाइयों से रूबरू कराते हुए कथा में अनूठे रंग भरे गए हैं। यह विनीत की कहानी है, जो केतकी और मल्लिका के बिना पूरी नहीं होती। इसमें अनुराग की दो धाराएँ हैं जो प्रेम के समुंदर में पहुँचकर विलीन हो जाना चाहती हैं, पर प्रेम के प्रति सरोकार अलग किस्म के हैं। 

Rishta/रिश्ता

अलका बेहद परेशान है। कहती तो कुछ नहीं, बस गुमसुम-सी अकेली बैठी रहती है। लगता है, एकांत में रोती भी रहती है।
अब रो लेना ठीक है, लेकिन अगर यहाँ ब्याह हो जाए तो जीवन-भर रोती रहेगी।
सगाई के बाद उभरकर आती लड़के वालों की कमियों एवं छिपाई गई बातों की सच्ची कहानी। कन्या-पक्ष की मानसिक ऊहापोह तथा बेचैनियों की तिलमिला देने वाली कथा। सफल उपन्यासकार दत्त भारती का एक ऐसा उपन्यास, जो आपको रुलाकर रख देगा। 

Bauddh Jeevan Kaise Jiyen/बौद्ध जीवन कैसे जीएँ

‘हे बुद्ध, मैं तुमको, धम्म को और संघ को शरणागत हूँ . . . बस, यही त्रिरत्न मेरी कुल संपदा है अन्यथा और कुछ भी नहीं है मेरे पास . . .
बौद्ध धर्म के पालन के लिए किसी भी व्यक्ति को तीन बातों पर अमल करना होगा : पहली उसे सभी सिद्धांतों की जानकारी हो। दूसरी सिद्धांतों को व्यवहार में लाने के लिए रूपरेखा सामने हो। तीसरी रूपरेखा को व्यवहार में उतारने के लिए साहस, संकल्प व अनुशासन हो।
यह पुस्तक पहली दो आवश्यकताओं की पूर्ति करती है, जबकि तीसरी आवश्यकता को पूरा करना आप पर निर्भर है यह धम्म की पुकार थी कि धम्मचारी सुभूति के शृंखलाबद्ध प्रवचनों का अनुवाद करने का विचार मन में उठा। इसी का प्रतिफल यह पुस्तक है, जो हर किसी को धम्म पर चलने और बुद्धत्व प्राप्त करने का मार्ग दिखाएगी।

Urdu Ke Prasiddh Shayar Faiz Ahmed Faiz/उर्दू के प्रसिद्ध शायर फैज़ अहमद फैज़

फ़ैज़ अहमद फै़ज़ उर्दू के बहुत ही जाने-माने कवि थे। आधुनिक उर्दू शायरी को उन्होंने एक नई ऊँचाई दी। इस पुस्तक में उनकी जीवनी एवं शायरी दी गई है। फै़ज़ अहमद फै़ज़ की उर्दू कविता दुआ का बलोची अनुवाद बलोच कवि गुल खान नासिर द्वारा किया गया। 20वीं सदी का वो महान् उर्दू शायर जिसने सरकारी तमगों और पुरस्कारों के लिए नहीं, जिसने शराब की चाशनी में डूबती-नाचती महबूबाओं के लिए नहीं, जिसने मज़ारों और बेवफ़ाईयों के लिए नहीं बल्कि अपने इंसान होने के एहसास, समाज और देश के लिए, एक सही और बराबरी की व्यवस्था वाले लोकतंत्र के लिए इंकलाब को अपने कलम की स्याही बनाया और ज़ुल्म-ओ-सितम में जी रहे लोगों को वो दिया जो बंदूकों और तोपखानों से बढ़कर था। फ़ैज़ की कविताओं में जितना ज़िंदा वो सच है जिसमें हम जी रहे हैं, उतना ही ज़िंदा वो हौसला है जिसकी बदौलत आदम-ओ-हव्वा की औलादें अपने वर्तमान को बदल सकती हैं।  

Sakshi Chetna: Amrita Pritam/साक्षी चेतना : अमृता प्रीतम

इस पुस्तक में राजेश चन्द्रा ने संस्मरणों के रूप में उन यादगार पलों का जिक्र किया है, जो उन्हें अमृता प्रीतम के संग जिए हैं। ये संस्मरण एक महान लेखक के संग उनके प्रशंसक की श्रद्धांजलि है। इसमें अमृता प्रीतम के जीवन के कुछ ऐसे अनछुए प्रसंग हैं, जो केवल लेखक की कलम से ही उकेरे गए हैं एवं साहित्य की धरोहर बन गए हैं। यह पुस्तक साहित्य जगत में अपना एक विशिष्ट स्थान रखती है। कमलेश्वर ने इस पुस्तक को पढ़कर कहा था कि यह हमारी खुशनसीबी है कि मैं अमृता प्रीतम के दौर में साँस ले रहा हूँ। 

Ravan Ko Gussa Kyon Aata Hai?/रावण को गुस्सा क्यों आता है?

देश के हालात इतने बुरे हो गए हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम से लेकर भगवान बुद्ध, कालिदास, शाहजहां, महात्मा गांधी, चचा गालिब और प्रेमचन्द भी हक्के-बक्के हैं। उन्हें अब कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। अब तो रावण को भी गुस्सा आने लगा है। इस पुस्तक में राजनीति, बाज़ार, मीडिया और भूमंडलीकरण से उत्पन्न विद्रूप स्थितियों को व्यंग्य के माध्यम से कहने की कोशिश है, जो आज के दौर की उलटबांसी हो गई है। यहाँ पढ़िए, गांधी जी चैनल को क्या इंटरव्यू दे रहे हैं? गालिब इलेक्शन पर क्या बोल रहे हैं? महँगाई के बारे में कालिदास क्या कह रहे हैं? घड़ियाल भारतीय राजनीति पर क्या टिप्पणी कर रहा है? बाघ ‘लव’ में असफल होकर क्यों आत्महत्या कर रहा है? हनुमान की व्यथा क्या है और भूमंडलीकरण के दौर में कुत्ते का दर्द क्या है?  

Kranti Gitanjali/क्रांति गीतांजलि

उठो देश भक्तों की फेहरिस्त में,
बढ़ो नाम अपना लिखाते चलो।
जो रग-रग में भर देवे जोशे वतन,
वह ‘आज़ाद’ गज़लें सुनाते चलो।—भागवत झा ‘आज़ाद’
ये क्रांतिगीत हैं, जिन्हें देश के लोह-लाड़लों ने लिखा और करोड़ों देशवासियों ने गाया और उन्हें अपनी आज़ादी की लड़ाई का अर्थ समझाया। ये गीत रचे गए और रचनाकारों को न जेल के अंधेरे डरा सके, न ब्रिटिश सरकार की यातनाएँ झुका सकीं। क्रांति के ये गीत छपने के साथ ही ब्रिटिश सरकार द्वारा ज़ब्त कर लिए गए थे, पर चलता रहा यह अटूट सिलसिला, इनकी गंजुर से काँपते रहे़ शासकों के कलेजे।
यह पुस्तक अपने-आप में प्रामाणिक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है। बिहार राज्य के अभिलेखागार के दस्तावज़ों के आधार पर इन गीतो का संकलन किया गया है। गीतो के साथ जब्ती के शासनादेश मलू-रूप में दिए गए हैं। यह संकलन काव्य-प्रेमियों, जिज्ञासुओं और शोधार्थियों के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। 

Body Language/बॉडी लैंग्वेज

दूसरे लोगों के बारे में समझने के लिए यह एक बहुत ही उपयोगी पुस्तक है। बॉडी लैंग्वेज यानी हाव-भाव एक तरह की शारीरिक भाषा है, जिसमें शब्द तो नहीं होते, लेकिन बिना कुछ कहे अपनी बात कह जाते हैं। बॉडी लैंग्वेज एक तरह से इंसान के व्यक्तित्व का आईना होती है। जैसे किताब के हर पन्ने में अलग-अलग बातें होती हैं, उसी तरह हाव-भाव के पीछे भी अलग-अलग अर्थ छिपे होते हैं। यह पुस्तक सिखाती है कि आँखों से संपर्क बनाए रखें अच्छी बॉडी लैंग्वेज के लिए आई-कॉन्टैक्ट यानी नज़रों से नज़रें मिलाकर बात करना बहुत ज़रूरी होता है।
चेहरे पर हल्की हँसी ज़रूर रखें, मगर क्यों? शरीर के हाव-भाव रखें ठीक, ताकि दूसरे आपके विषय में गलत अर्थ न लगाएँन
कपड़े पहनने की सही समझ कैसे रखें और सकारात्मक कैसे रहें, यह सब इस पुस्तक को पढ़कर आसानी से किया जा सकता है।  

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