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Orbital Hindi / ऑर्बिटल

Orbital Hindi / ऑर्बिटल

Samantha Harvey / समैंथा हार्वी
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Paperback / Hardback

इस पृथ्वी नाम के ग्रह पर हमारे जीवन का एक ऐसा स्वरूप जिसके बारे में आपने पहले कभी नहीं सोचा होगा।
छह अंतरिक्षयात्री अपने अंतरिक्षयान में बैठकर लगातार पृथ्वी का चक्कर लगा रहे हैं। वहाँ उनका काम मौसम संबंधी आँकड़ों को इकट्ठा करना और वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देना है। लेकिन अमूमन वे अपना समय निरीक्षण में ही बिताते हैं। एक साथ मिलकर वे हमारी इस शांत नीले रंग के ग्रह को निहारते रहते हैं: एक ही दिन में शानदार सौंदर्य के अंतहीन नज़ारे उनकी आँखों के सामने से गुजरते हैं।
हालाँकि वे दुनिया से अलग-थलग हैं लेकिन फिर भी लगातार होने वाली इसकी खींचतान भागने का कोई विकल्प उनके पास नहीं है। उन तक माँ के गुजर जाने की ख़बर पहुँचती है और इसके साथ ही मन में विचार उठने लगता है वापस पृथ्वी पर लौटने का। उनकी बातचीत, उनके डर, उनके सपने, सब कुछ ही मानव जीवन की क्षणभंगुरता से लबरेज़ है।
पृथ्वी से दूर रहते हुए उन्हें इस बात का अभूतपूर्व अनुभव हुआ कि वे इसका अनन्य हिस्सा हैं या उनके भीतर इसे लेकर एक सुरक्षात्मक भाव है। पृथ्वी के बिना जीवन का अस्तित्व क्या है? मानवता के बिना पृथ्वी का क्या मतलब है? जैसे प्रश्नों से उनका दिमाग़ अटा पड़ा है।

Imprint: Penguin Swadesh

Published: Sep/2025

ISBN: 9780143475750

Length : 200 Pages

MRP : ₹299.00

Orbital Hindi / ऑर्बिटल

Samantha Harvey / समैंथा हार्वी

इस पृथ्वी नाम के ग्रह पर हमारे जीवन का एक ऐसा स्वरूप जिसके बारे में आपने पहले कभी नहीं सोचा होगा।
छह अंतरिक्षयात्री अपने अंतरिक्षयान में बैठकर लगातार पृथ्वी का चक्कर लगा रहे हैं। वहाँ उनका काम मौसम संबंधी आँकड़ों को इकट्ठा करना और वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देना है। लेकिन अमूमन वे अपना समय निरीक्षण में ही बिताते हैं। एक साथ मिलकर वे हमारी इस शांत नीले रंग के ग्रह को निहारते रहते हैं: एक ही दिन में शानदार सौंदर्य के अंतहीन नज़ारे उनकी आँखों के सामने से गुजरते हैं।
हालाँकि वे दुनिया से अलग-थलग हैं लेकिन फिर भी लगातार होने वाली इसकी खींचतान भागने का कोई विकल्प उनके पास नहीं है। उन तक माँ के गुजर जाने की ख़बर पहुँचती है और इसके साथ ही मन में विचार उठने लगता है वापस पृथ्वी पर लौटने का। उनकी बातचीत, उनके डर, उनके सपने, सब कुछ ही मानव जीवन की क्षणभंगुरता से लबरेज़ है।
पृथ्वी से दूर रहते हुए उन्हें इस बात का अभूतपूर्व अनुभव हुआ कि वे इसका अनन्य हिस्सा हैं या उनके भीतर इसे लेकर एक सुरक्षात्मक भाव है। पृथ्वी के बिना जीवन का अस्तित्व क्या है? मानवता के बिना पृथ्वी का क्या मतलब है? जैसे प्रश्नों से उनका दिमाग़ अटा पड़ा है।

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