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देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आई एक हिंदू रिफ्यूजी महिला की कहानी जो चंडीगढ़ में अपने पत्रकार पति के साथ रहती है और कई द्वंदों में जीती है। उसे विभाजन के दिनों का भाईचारा याद आता है, हिंसा याद आती है और दगाबाजियाँ भी याद आती है। इस पुस्तक में प्रेम है, विछोह है, जड़ों की ओर लौटने की तड़प है और विचारधाराओं का द्वंद है। कुल मिलाकर यह किताब एक खंडित व्यक्तिक्व की महिला की कहानी है जो बंटवारे के बाद अपनी जड़ों से उखड़ चुकी है, प्रेम और आकर्षण के बीच के अंतर को समझ नहीं पाती और फिर नारीवाद की कई परतों से गुजरकर एक पारिवारिक लेकिन लगभग एकाकी जीवन जी रही है जिसमें उसका पति तो साथ है, लेकिन वह भी अपनी दुनिया में डूबा हुआ है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN: 9780143457176
Length : 232 Pages
MRP : ₹250.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN:
Length : 232 Pages
MRP : ₹250.00
देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आई एक हिंदू रिफ्यूजी महिला की कहानी जो चंडीगढ़ में अपने पत्रकार पति के साथ रहती है और कई द्वंदों में जीती है। उसे विभाजन के दिनों का भाईचारा याद आता है, हिंसा याद आती है और दगाबाजियाँ भी याद आती है। इस पुस्तक में प्रेम है, विछोह है, जड़ों की ओर लौटने की तड़प है और विचारधाराओं का द्वंद है। कुल मिलाकर यह किताब एक खंडित व्यक्तिक्व की महिला की कहानी है जो बंटवारे के बाद अपनी जड़ों से उखड़ चुकी है, प्रेम और आकर्षण के बीच के अंतर को समझ नहीं पाती और फिर नारीवाद की कई परतों से गुजरकर एक पारिवारिक लेकिन लगभग एकाकी जीवन जी रही है जिसमें उसका पति तो साथ है, लेकिन वह भी अपनी दुनिया में डूबा हुआ है।
मधुर कपिला (15 अप्रैल 1942 – 19 दिसंबर 2021) भारतीय उपन्यासकार, पत्रकार और कला समीक्षक थीं। उनके कई लेख दिनमान, पंजाब केसरी, जनसत्ता और हिंदुस्तान में प्रकाशित हुए। उनकी इससे पूर्व तीन पुस्तकें प्रकाशित हैं। उन्हें चंडीगढ़ साहित्य अकादमी और पंजाब संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।