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‘. . . शायद जूली का यह प्रथम परिचय हो उस अनुभूति से, जिसे कोई भी लड़की बड़े चाव से संजोकर, संभालकर अपने में छिपाए रहती है। एक अर्न्विचनीय सुख, जो पीड़ा लिए, पीड़ा और सुख को डुबोती हुई उमड़ते ज्वार की खुमारी जो दो जनों को अपने में समा लेती है . . . एक दर्द, जो आनंद से उपजा है और पीड़ा देता है।’
यह बहुत ही महीन मानवीय अनुभूतियों की एकदम जीवंत तथा अत्यंत मर्मस्पर्शी कथा है। आधुनिक हिन्दी कथाकारों में र्स्ववाधिक चर्चित लेखक निर्मल वर्मा की बहुचर्चित तथा प्रसिद्ध कथा-कृति, जो किसी भी संवेदनशील पाठक को भरपूर रसास्वादन कराने में पूरी तरह समर्थ है।
Imprint: Penguin swadesh
Published: Dec/2023
ISBN: 9780143465386
Length : 88 Pages
MRP : ₹199.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin swadesh
Published: Dec/2023
ISBN:
Length : 88 Pages
MRP : ₹199.00
‘. . . शायद जूली का यह प्रथम परिचय हो उस अनुभूति से, जिसे कोई भी लड़की बड़े चाव से संजोकर, संभालकर अपने में छिपाए रहती है। एक अर्न्विचनीय सुख, जो पीड़ा लिए, पीड़ा और सुख को डुबोती हुई उमड़ते ज्वार की खुमारी जो दो जनों को अपने में समा लेती है . . . एक दर्द, जो आनंद से उपजा है और पीड़ा देता है।’
यह बहुत ही महीन मानवीय अनुभूतियों की एकदम जीवंत तथा अत्यंत मर्मस्पर्शी कथा है। आधुनिक हिन्दी कथाकारों में र्स्ववाधिक चर्चित लेखक निर्मल वर्मा की बहुचर्चित तथा प्रसिद्ध कथा-कृति, जो किसी भी संवेदनशील पाठक को भरपूर रसास्वादन कराने में पूरी तरह समर्थ है।
निर्मल वर्मा का जन्म 3 अप्रैल 1929 को शिमला में हुआ था। हिन्दी साहित्य में नई कहानी आंदोलन के प्रमुख ध्वजवाहक निर्मल वर्मा का कहानी में आधुनिकता का बोध लाने वाले कहानीकारों में अग्रणी स्थान है। रात का रिपोर्टर, एक चिथड़ा सुख, लाल टीन की छत और वे दिन निर्मल वर्मा के चर्चित उपन्यास हैं। उनका अंतिम उपन्यास अंतिम अरण्य 1990 में प्रकाशित हुआ था। उनकी सौ से अधिक कहानियाँ कई कहानी संग्रहों में प्रकाशित हुई।निर्मल वर्मा का निधन 25 अक्टूबर 2005 को नई दिल्ली में हुआ।