© 2020 Penguin India
‘वो तदबीरें नहीं होतीं. . .’
आनंद बक्शी की लिखी सबसे पहली कविता की यह प्रथम पंक्ति है और इसके बाद गीत-संगीत में ही अपना करियर बनाने के लिए ज़िंदगी की जद्दोजेहद, काम और निजी जीवन में हर जगह कविताओं के ही दर्शन होने लगे और काव्य भी ऐसा कि उनका रास्ता आसान बनाते चले गए। आनंद बक्शी साहब यह जानते थे कि प्रेम के बिना ज़िंदगी बेरंग और बेनूर होती है, इसलिए उन्होंने अपने अधिकांश गीतों में प्रेम का पैगाम दिया है।
इस काव्य संकलन में प्रकाशित बक्शी साहब के गीतों, कविताओं, ग़ज़लों इत्यादि सभी में प्रेम के इंद्रधनुषी रंग मौजूद हैं। आनंद बक्शी साहब ने अपनी इन कविताओं के द्वारा लोगों के जीवन की अमावस रातों को चाँदनी रातों में तब्दील करने की भरपूर कोशिश की है। यह काव्य संग्रह जीवन में पलायन करने की बजाय साहसी बनकर मुकाबला करने और जीतने की प्रेरणा देने में सक्षम है।
Imprint: Penguin swadesh
Published: Apr/2024
ISBN: 9780670094714
Length : 196 Pages
MRP : ₹299.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin swadesh
Published: Apr/2024
ISBN:
Length : 196 Pages
MRP : ₹299.00
‘वो तदबीरें नहीं होतीं. . .’
आनंद बक्शी की लिखी सबसे पहली कविता की यह प्रथम पंक्ति है और इसके बाद गीत-संगीत में ही अपना करियर बनाने के लिए ज़िंदगी की जद्दोजेहद, काम और निजी जीवन में हर जगह कविताओं के ही दर्शन होने लगे और काव्य भी ऐसा कि उनका रास्ता आसान बनाते चले गए। आनंद बक्शी साहब यह जानते थे कि प्रेम के बिना ज़िंदगी बेरंग और बेनूर होती है, इसलिए उन्होंने अपने अधिकांश गीतों में प्रेम का पैगाम दिया है।
इस काव्य संकलन में प्रकाशित बक्शी साहब के गीतों, कविताओं, ग़ज़लों इत्यादि सभी में प्रेम के इंद्रधनुषी रंग मौजूद हैं। आनंद बक्शी साहब ने अपनी इन कविताओं के द्वारा लोगों के जीवन की अमावस रातों को चाँदनी रातों में तब्दील करने की भरपूर कोशिश की है। यह काव्य संग्रह जीवन में पलायन करने की बजाय साहसी बनकर मुकाबला करने और जीतने की प्रेरणा देने में सक्षम है।