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‘देखिए! शादी-ब्याह के सफल और असफल रहने की गारंटी कोई नहीं दे सकता। . . . लेकिन एक दिल का लगाव जैसी भी कोई चीज होती है। कामिनी के साथ मैं दो साल तक रहा। फिर भी हम दोनों एक-दूसरे के लिए अनजान बने रहे। राधिका को मैं मुश्किल से सप्ताह भर से जानता हूँ; पर लगता है, जैसे हम दोनों जन्म-जन्मांतर से परिचित हैं। क्यों लगता है ऐसा?’
वैवाहिक समस्या का मार्मिक समाधान प्रस्तुत करने वाले प्रसिद्ध लेखक किशोर साहू का बेहद रोचक उपन्यास, जो हर किसी के दिलो-दिमाग पर अद्भुत छाप छोड़ने में सक्षम है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN: 9780143465409
Length : 182 Pages
MRP : ₹250.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
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Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN:
Length : 182 Pages
MRP : ₹250.00
‘देखिए! शादी-ब्याह के सफल और असफल रहने की गारंटी कोई नहीं दे सकता। . . . लेकिन एक दिल का लगाव जैसी भी कोई चीज होती है। कामिनी के साथ मैं दो साल तक रहा। फिर भी हम दोनों एक-दूसरे के लिए अनजान बने रहे। राधिका को मैं मुश्किल से सप्ताह भर से जानता हूँ; पर लगता है, जैसे हम दोनों जन्म-जन्मांतर से परिचित हैं। क्यों लगता है ऐसा?’
वैवाहिक समस्या का मार्मिक समाधान प्रस्तुत करने वाले प्रसिद्ध लेखक किशोर साहू का बेहद रोचक उपन्यास, जो हर किसी के दिलो-दिमाग पर अद्भुत छाप छोड़ने में सक्षम है।
किशोर साहू एक प्रसिद्ध लेखक के साथ-साथ अभिनेता, फिल्म निर्देशक और निर्माता थे। वह 1937 और 1980 के बीच बाईस फिल्मों में दिखाई दिए। उन्होंने 1942 और 1974 के बीच बीस फिल्मों का निर्देशन किया। उन्होंने दिलीप कुमार को नदिया के पार में कामिनी कौशल के साथ निर्देशित किया, जो 1948 की छठी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई। उनकी 1954 की फिल्म मयूरपंख ने 1954 के कान फिल्म फेस्टिवल में प्रवेश किया, जहॉं इसे महोत्सव के ग्रैंड पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। वह मीना कुमारी अभिनीत, दिल अपना और प्रीत पराई (1960) के लिए भी जाने जाते हैं।