© 2020 Penguin India
उठो देश भक्तों की फेहरिस्त में,
बढ़ो नाम अपना लिखाते चलो।
जो रग-रग में भर देवे जोशे वतन,
वह ‘आज़ाद’ गज़लें सुनाते चलो।—भागवत झा ‘आज़ाद’
ये क्रांतिगीत हैं, जिन्हें देश के लोह-लाड़लों ने लिखा और करोड़ों देशवासियों ने गाया और उन्हें अपनी आज़ादी की लड़ाई का अर्थ समझाया। ये गीत रचे गए और रचनाकारों को न जेल के अंधेरे डरा सके, न ब्रिटिश सरकार की यातनाएँ झुका सकीं। क्रांति के ये गीत छपने के साथ ही ब्रिटिश सरकार द्वारा ज़ब्त कर लिए गए थे, पर चलता रहा यह अटूट सिलसिला, इनकी गंजुर से काँपते रहे़ शासकों के कलेजे।
यह पुस्तक अपने-आप में प्रामाणिक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है। बिहार राज्य के अभिलेखागार के दस्तावज़ों के आधार पर इन गीतो का संकलन किया गया है। गीतो के साथ जब्ती के शासनादेश मलू-रूप में दिए गए हैं। यह संकलन काव्य-प्रेमियों, जिज्ञासुओं और शोधार्थियों के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jun/2024
ISBN: 9780143468271
Length : 112 Pages
MRP : ₹199.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jun/2024
ISBN:
Length : 112 Pages
MRP : ₹199.00
उठो देश भक्तों की फेहरिस्त में,
बढ़ो नाम अपना लिखाते चलो।
जो रग-रग में भर देवे जोशे वतन,
वह ‘आज़ाद’ गज़लें सुनाते चलो।—भागवत झा ‘आज़ाद’
ये क्रांतिगीत हैं, जिन्हें देश के लोह-लाड़लों ने लिखा और करोड़ों देशवासियों ने गाया और उन्हें अपनी आज़ादी की लड़ाई का अर्थ समझाया। ये गीत रचे गए और रचनाकारों को न जेल के अंधेरे डरा सके, न ब्रिटिश सरकार की यातनाएँ झुका सकीं। क्रांति के ये गीत छपने के साथ ही ब्रिटिश सरकार द्वारा ज़ब्त कर लिए गए थे, पर चलता रहा यह अटूट सिलसिला, इनकी गंजुर से काँपते रहे़ शासकों के कलेजे।
यह पुस्तक अपने-आप में प्रामाणिक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है। बिहार राज्य के अभिलेखागार के दस्तावज़ों के आधार पर इन गीतो का संकलन किया गया है। गीतो के साथ जब्ती के शासनादेश मलू-रूप में दिए गए हैं। यह संकलन काव्य-प्रेमियों, जिज्ञासुओं और शोधार्थियों के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।