““. . .मुझे रुपए चाहिए सात दिन के अंदर-अंदर वरना नालिश कर दें, मैं उसे पैरों के नीचे घसीटकर लाना चाहती हूँ।”
एक अहंवादिनी युवती के असीम प्रेम के असह्य घृणा में परिवर्तित हो जाने की मार्मिक कहानी।
साथ ही पढ़िए लगभग ऐसी ही भाव-भूमि पर आधारित शरत् बाबू का ही एक अन्य उपन्यास दत्ता।
यह पुस्तक पठनीय के साथ-साथ संग्रहणीय भी है।
शरत् बाबू का सर्वप्रथम तथा पुस्तक-रूप में अब तक अप्रकाशित उपन्यास।”
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN: 9780143465430
Length : 152 Pages
MRP : ₹199.00