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““. . .मुझे रुपए चाहिए सात दिन के अंदर-अंदर वरना नालिश कर दें, मैं उसे पैरों के नीचे घसीटकर लाना चाहती हूँ।”
एक अहंवादिनी युवती के असीम प्रेम के असह्य घृणा में परिवर्तित हो जाने की मार्मिक कहानी।
साथ ही पढ़िए लगभग ऐसी ही भाव-भूमि पर आधारित शरत् बाबू का ही एक अन्य उपन्यास दत्ता।
यह पुस्तक पठनीय के साथ-साथ संग्रहणीय भी है।
शरत् बाबू का सर्वप्रथम तथा पुस्तक-रूप में अब तक अप्रकाशित उपन्यास।”
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN: 9780143465430
Length : 152 Pages
MRP : ₹199.00
Imprint: Audiobook
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN:
Length : 152 Pages
MRP : ₹199.00
““. . .मुझे रुपए चाहिए सात दिन के अंदर-अंदर वरना नालिश कर दें, मैं उसे पैरों के नीचे घसीटकर लाना चाहती हूँ।”
एक अहंवादिनी युवती के असीम प्रेम के असह्य घृणा में परिवर्तित हो जाने की मार्मिक कहानी।
साथ ही पढ़िए लगभग ऐसी ही भाव-भूमि पर आधारित शरत् बाबू का ही एक अन्य उपन्यास दत्ता।
यह पुस्तक पठनीय के साथ-साथ संग्रहणीय भी है।
शरत् बाबू का सर्वप्रथम तथा पुस्तक-रूप में अब तक अप्रकाशित उपन्यास।”
शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार एवं लघु कथाकार थे। उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। इसके अलावा उनकी रचनाओं में तत्कालीन बंगाल के सामाजिक जीवन की झलक मिलती है। शरत्चन्द्र भारत के सार्वकालिक सर्वाधिक लोकप्रिय तथा सर्वाधिक अनूदित लेखक हैं। 16 जनवरी 1938 ई. को कलकत्ता में 62 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ।