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सतत चिंतन में निमग्न तथा मानव मात्र के समग्र कल्याण के लिए प्रयत्नशील विद्वान संन्यासी श्री चन्द्रप्रभ सरस वाणी द्वारा जिस ज्ञान-धारा का प्रवाह करते हैं, उसकी जीवंत प्रस्तुति है जागो मेरे पार्थ। यह गीता पर दिए गए उनके अठारह आध्यात्मिक प्रवचनों का अनूठा संकलन है, जो भारतीय जीवन-दृष्टि को रेखांकित करता है। इस ग्रन्थ को पढ़कर हरेक के मन में विजय का विश्वास जागता है और हर कोई पुरुर्षा्थ की भावना से भर उठता है। श्री चन्द्रप्रभ के शब्दों में, ‘गीता संसार का वह गौरीशंकर है, जिसने शताब्दियों तक मनुष्य को अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत और अपनी आत्म-विजय के लिए सन्नद्ध रहने की प्रेरणा दी है, इसलिए गीता का मार्ग योद्धाओं का मार्ग है।’ श्री चन्द्रप्रभ के इन रससिक्त प्रवचनों को यदि अंतर्मन में उतार लें, तो निश्चय ही उद्धार हो जाएगा।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Mar/2024
ISBN: 9780143467182
Length : 246 Pages
MRP : ₹199.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Mar/2024
ISBN:
Length : 246 Pages
MRP : ₹199.00
सतत चिंतन में निमग्न तथा मानव मात्र के समग्र कल्याण के लिए प्रयत्नशील विद्वान संन्यासी श्री चन्द्रप्रभ सरस वाणी द्वारा जिस ज्ञान-धारा का प्रवाह करते हैं, उसकी जीवंत प्रस्तुति है जागो मेरे पार्थ। यह गीता पर दिए गए उनके अठारह आध्यात्मिक प्रवचनों का अनूठा संकलन है, जो भारतीय जीवन-दृष्टि को रेखांकित करता है। इस ग्रन्थ को पढ़कर हरेक के मन में विजय का विश्वास जागता है और हर कोई पुरुर्षा्थ की भावना से भर उठता है। श्री चन्द्रप्रभ के शब्दों में, ‘गीता संसार का वह गौरीशंकर है, जिसने शताब्दियों तक मनुष्य को अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत और अपनी आत्म-विजय के लिए सन्नद्ध रहने की प्रेरणा दी है, इसलिए गीता का मार्ग योद्धाओं का मार्ग है।’ श्री चन्द्रप्रभ के इन रससिक्त प्रवचनों को यदि अंतर्मन में उतार लें, तो निश्चय ही उद्धार हो जाएगा।