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Grihdah/गृहदाह

Grihdah/गृहदाह

Sharatchandra/शरतचन्द्र
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गृहदाह शरत् चन्द्र का 1919 में प्रकाशित एक चर्चित उपन्यास है। इसमें महिम, सुरेश और अचला की कहानी है। शरत् चंद्र ने इसमें हिंदू धर्म और ब्रह्म समाज के बीच उभर रहे विरोधाभास को उजागर किया है। यही कारण है कि यह कृति सामाजिक विसंगतियों, विषमताओं और विडम्बनाओं का चित्रण करनेवाली एक अनुपम कृति बन पड़ी है। यह उपन्यास एक ऐसी महान रचना है, जो लम्बे समय तक पाठक के मन को गुदगुदाती रहेगी, साथ ही एक नए कोण से सोचने के लिए भी विवश करेगी, क्योंकि इसमें धर्म एवं समाज के बीच मतभेद के अलावा एक प्रेममयी नारी के हृदय की विवशता का भी बड़ा ही अनोखा चित्र प्रस्तुत किया गया है। 

Imprint: Penguin Swadesh

Published: Jan/2024

ISBN: 9780143465416

Length : 188 Pages

MRP : ₹199.00

Grihdah/गृहदाह

Sharatchandra/शरतचन्द्र

गृहदाह शरत् चन्द्र का 1919 में प्रकाशित एक चर्चित उपन्यास है। इसमें महिम, सुरेश और अचला की कहानी है। शरत् चंद्र ने इसमें हिंदू धर्म और ब्रह्म समाज के बीच उभर रहे विरोधाभास को उजागर किया है। यही कारण है कि यह कृति सामाजिक विसंगतियों, विषमताओं और विडम्बनाओं का चित्रण करनेवाली एक अनुपम कृति बन पड़ी है। यह उपन्यास एक ऐसी महान रचना है, जो लम्बे समय तक पाठक के मन को गुदगुदाती रहेगी, साथ ही एक नए कोण से सोचने के लिए भी विवश करेगी, क्योंकि इसमें धर्म एवं समाज के बीच मतभेद के अलावा एक प्रेममयी नारी के हृदय की विवशता का भी बड़ा ही अनोखा चित्र प्रस्तुत किया गया है। 

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