© 2020 Penguin India
गृहदाह शरत् चन्द्र का 1919 में प्रकाशित एक चर्चित उपन्यास है। इसमें महिम, सुरेश और अचला की कहानी है। शरत् चंद्र ने इसमें हिंदू धर्म और ब्रह्म समाज के बीच उभर रहे विरोधाभास को उजागर किया है। यही कारण है कि यह कृति सामाजिक विसंगतियों, विषमताओं और विडम्बनाओं का चित्रण करनेवाली एक अनुपम कृति बन पड़ी है। यह उपन्यास एक ऐसी महान रचना है, जो लम्बे समय तक पाठक के मन को गुदगुदाती रहेगी, साथ ही एक नए कोण से सोचने के लिए भी विवश करेगी, क्योंकि इसमें धर्म एवं समाज के बीच मतभेद के अलावा एक प्रेममयी नारी के हृदय की विवशता का भी बड़ा ही अनोखा चित्र प्रस्तुत किया गया है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN: 9780143465416
Length : 188 Pages
MRP : ₹199.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN:
Length : 188 Pages
MRP : ₹199.00
गृहदाह शरत् चन्द्र का 1919 में प्रकाशित एक चर्चित उपन्यास है। इसमें महिम, सुरेश और अचला की कहानी है। शरत् चंद्र ने इसमें हिंदू धर्म और ब्रह्म समाज के बीच उभर रहे विरोधाभास को उजागर किया है। यही कारण है कि यह कृति सामाजिक विसंगतियों, विषमताओं और विडम्बनाओं का चित्रण करनेवाली एक अनुपम कृति बन पड़ी है। यह उपन्यास एक ऐसी महान रचना है, जो लम्बे समय तक पाठक के मन को गुदगुदाती रहेगी, साथ ही एक नए कोण से सोचने के लिए भी विवश करेगी, क्योंकि इसमें धर्म एवं समाज के बीच मतभेद के अलावा एक प्रेममयी नारी के हृदय की विवशता का भी बड़ा ही अनोखा चित्र प्रस्तुत किया गया है।
शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार एवं लघु कथाकार थे। उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। इसके अलावा उनकी रचनाओं में तत्कालीन बंगाल के सामाजिक जीवन की झलक मिलती है। शरत्चन्द्र भारत के सार्वकालिक सर्वाधिक लोकप्रिय तथा सर्वाधिक अनूदित लेखक हैं। 16 जनवरी 1938 ई. को कलकत्ता में 62 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ।