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प्रस्तुत पुस्तक पाठकों के लिए एक गुलदस्ता है; यह द टाइम्स ऑफ इंडिया के स्तंभ ‘द स्पीकिंग ट्री’ धारावाहिक रुप में प्रकाशित सद्गुरु के आलेखों का संग्रह है। इन रचनाओं ने एकरसता और अशांति से घिरे लोगों के जीवन में नित्य प्रति सौंदर्य, हास्य, स्पष्टता और विवेक की शालीनता प्रवाहित की है।
सद्गुरु के मौलिक विचारों, स्पष्ट टिप्पणियों और समसामयिक मसलों पर दिए गए बयानों ने कभी-कभी विवाद पैदा किए हैं, पर उनसे राष्ट्रीय बहस में एक अलग रंगर और जीवंतता का संचार हुआ है। रुढ़ियों और परम्परागत विचारों से अलग नए दृष्टिकोण जगाकर पाठकों को चौंका देने वाली ये रचनाएँ, अपनी सौम्य सुगंध से भोर को भिगोते फूलों की तरह उत्साह और प्रेरणा प्रदान करती है।
हमारी नजरों के सामने खिले फूलों की तरह इनमें आग्रहपूर्ण आमंत्रण है। सुवास आ आमंत्रण-सुवास जो मदहोश कर देती है, जो हमें याद दिलाती है कि जीवन कोई उलझी हुई पहेली नहीं है, बल्कि एक राज है जिसे अनुभव किया जा सकता है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Aug/2023
ISBN: 9780143460008
Length : 184 Pages
MRP : ₹199.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
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Imprint: Penguin Swadesh
Published: Aug/2023
ISBN:
Length : 184 Pages
MRP : ₹199.00
प्रस्तुत पुस्तक पाठकों के लिए एक गुलदस्ता है; यह द टाइम्स ऑफ इंडिया के स्तंभ ‘द स्पीकिंग ट्री’ धारावाहिक रुप में प्रकाशित सद्गुरु के आलेखों का संग्रह है। इन रचनाओं ने एकरसता और अशांति से घिरे लोगों के जीवन में नित्य प्रति सौंदर्य, हास्य, स्पष्टता और विवेक की शालीनता प्रवाहित की है।
सद्गुरु के मौलिक विचारों, स्पष्ट टिप्पणियों और समसामयिक मसलों पर दिए गए बयानों ने कभी-कभी विवाद पैदा किए हैं, पर उनसे राष्ट्रीय बहस में एक अलग रंगर और जीवंतता का संचार हुआ है। रुढ़ियों और परम्परागत विचारों से अलग नए दृष्टिकोण जगाकर पाठकों को चौंका देने वाली ये रचनाएँ, अपनी सौम्य सुगंध से भोर को भिगोते फूलों की तरह उत्साह और प्रेरणा प्रदान करती है।
हमारी नजरों के सामने खिले फूलों की तरह इनमें आग्रहपूर्ण आमंत्रण है। सुवास आ आमंत्रण-सुवास जो मदहोश कर देती है, जो हमें याद दिलाती है कि जीवन कोई उलझी हुई पहेली नहीं है, बल्कि एक राज है जिसे अनुभव किया जा सकता है।
योगी, रहस्यवादी और युगद्रष्टा सद्गुरु एक अलग तरह के आध्यात्मिक गुरु हैं। बोध कि पूर्ण स्पष्टता उन्हें आध्यात्मिक संदर्भों में ही नहीं, बल्कि व्यावसायिक, पर्यावरण और अंतरराष्ट्रीय मामलों में भी एक विशिष्ट स्थान प्रदान करती है। उनकी विदेशी मामलों की गहरी समझ और मानव-कल्याण के प्रति नितांत वैज्ञानिक दृष्टिकोण का वर्ल्ड बैंक, हाउस ऑफ लॉर्ड्स (यूके), वर्ल्ड प्रेजिडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, लंडन बिजनेस स्कूल, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी संस्थाओं पर रूपांतरकारी प्रभाव रहा है। सद्गुरु पिछले तीन दशकों से व्यक्ति और विश्व की भलाई के प्रति समर्पित एक नॉन-प्रॉफिट संगठन ईशा फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं।