अशेष था एक ऐसा पुरुष, जिसे घर-परिवार, दुनिया समाज से भी अधिक प्रिय था ‘देहवाद’। वह स्त्री को मात्र देह-सुख के लिए उपयोगी मानता था। स्त्री चाहे घर की निर्मल मना, निष्कपट निष्पाप सहधर्मिणी हो या बाहर की बदनाम स्त्रियाँ।
हिमानी थी एक ऐसी पत्नी, जिसने पति से प्यार, सम्मान और सहज व्यवहार कभी नहीं पाया। वह अपने ही घर में दबी-घुटी और परायों का-सा जीवन जीती रही।
आहुति थी एक कम-उम्र युवती, जिसे बहला-फुसलाकर विवाह के लिए बाध्य कि या और ले आया उस घर में, जहाँ एक आराध्य देवी पहले से मौजूद थी और निरंतर तिल-तिलकर गल रही थी।
आहुति ने देखा और होम दिया अपना सारा जीवन। अशेष ने जिस स्त्री को उसके अधिकारों से वंचित कर रखा था, उसी के उच्चासन पर उसे स्थापित करना चाहा, पर ऐसा नहीं होने दिया आहुति ने। उसने एक लंबी लड़ाई लड़ी और हिमानी को घर-बाहर सब जगह ऐसे शिखर पर पहुँचा दिया कि अशेष बौना लगने लगा और अंत में उसने समर्पण कर दिया अपनी पहली पत्नी के आगे।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Nov/2024
ISBN: 9780143472193
Length : 160 Pages
MRP : ₹199.00