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“यह काल की गति है या कर्मों का फल,” अनुपमा की माँ ने अपने पति कालाचार्य से कहा, “कि अनुपमा का अपहरण कर लिया गया है। अपहरण की योजना में रूपमती का हाथ स्पष्ट ही दिखता है। साथ ही उसके पीछे गर्द भिल्ल की शक्ति और रामभट्ट की कुटिल नीति भी अवश्य है।”
प्राचीन उज्जैन के व्यसनी नरेश गर्द भिल्ल ने प्रजापुत्री अनुपमा का अपहरण करा उसे अपने महल में डाल लिया, परिणामस्वरूप ऐसा भयंकर विस्फोट हुआ, जिससे उज्जैन नगरी की ईंट-से-ईंट बज उठी। फिर उदय हुआ उस पराक्रमी सम्राट विक्रमादित्य का जिसके नाम से आज तक विक्रम संवत चला आ रहा है। यह एक सशक्त घटना-प्रधान ऐतिहासिक उपन्यास है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Nov/2024
ISBN: 9780143472162
Length : 124 Pages
MRP : ₹175.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Nov/2024
ISBN:
Length : 124 Pages
MRP : ₹175.00
“यह काल की गति है या कर्मों का फल,” अनुपमा की माँ ने अपने पति कालाचार्य से कहा, “कि अनुपमा का अपहरण कर लिया गया है। अपहरण की योजना में रूपमती का हाथ स्पष्ट ही दिखता है। साथ ही उसके पीछे गर्द भिल्ल की शक्ति और रामभट्ट की कुटिल नीति भी अवश्य है।”
प्राचीन उज्जैन के व्यसनी नरेश गर्द भिल्ल ने प्रजापुत्री अनुपमा का अपहरण करा उसे अपने महल में डाल लिया, परिणामस्वरूप ऐसा भयंकर विस्फोट हुआ, जिससे उज्जैन नगरी की ईंट-से-ईंट बज उठी। फिर उदय हुआ उस पराक्रमी सम्राट विक्रमादित्य का जिसके नाम से आज तक विक्रम संवत चला आ रहा है। यह एक सशक्त घटना-प्रधान ऐतिहासिक उपन्यास है।