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अमर महात्मा स्वामी श्रद्धानन्द का नाम नवीन भारत के निर्माताओं में बहुत ऊँचा है। पंजाब के एक छोटे-से प्रदेश तलवन में जन्म लेकर आप महर्षि दयानंद की जगाई ज्योति को लेकर आगे बढ़े और पहले हिमालय की उपत्यका में गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना करके, संन्यास लेने के बाद, महात्मा गाँधी के साथ स्वाधीनता-युद्ध के प्रमुख सेनानी बने। स्वामीजी का जीवन किसी भी महाकाव्य के नायक से कम रोमांचपूर्ण नहीं है। पत्नी के स्वर्गवास के बाद आपका हिमालय के घने जंगलों में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना करना, भारत की अध्यात्म ज्योति को पुनर्जीवित करने के लिए अनेक सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध अकेले युद्ध करते हुए प्राण-त्याग करने की कहानी किसी भी उपन्यास से अधिक रोचक और प्रेरणाप्रद है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: May/2024
ISBN: 9780143468110
Length : 208 Pages
MRP : ₹199.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
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Imprint: Penguin Swadesh
Published: May/2024
ISBN:
Length : 208 Pages
MRP : ₹199.00
अमर महात्मा स्वामी श्रद्धानन्द का नाम नवीन भारत के निर्माताओं में बहुत ऊँचा है। पंजाब के एक छोटे-से प्रदेश तलवन में जन्म लेकर आप महर्षि दयानंद की जगाई ज्योति को लेकर आगे बढ़े और पहले हिमालय की उपत्यका में गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना करके, संन्यास लेने के बाद, महात्मा गाँधी के साथ स्वाधीनता-युद्ध के प्रमुख सेनानी बने। स्वामीजी का जीवन किसी भी महाकाव्य के नायक से कम रोमांचपूर्ण नहीं है। पत्नी के स्वर्गवास के बाद आपका हिमालय के घने जंगलों में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना करना, भारत की अध्यात्म ज्योति को पुनर्जीवित करने के लिए अनेक सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध अकेले युद्ध करते हुए प्राण-त्याग करने की कहानी किसी भी उपन्यास से अधिक रोचक और प्रेरणाप्रद है।