‘इस नॉवेल में हमारा समाज, इन्सानी रिश्ते और रिश्तों की उलझनें एक नए ढंग में सामने आती हैं। त्रिपुरारि ने लव-स्टोरी को साइंस-फ़िक्शन की शक्ल अता की है और अपने लिए एक नई और अलग राह तलाश की है। साइंस-फ़िक्शन हमारे यहाँ कम लिखा जाता है, ख़ुशी है त्रिपुरारि ने इस तरफ़ संजीदगी से तवज्जोह दी है। उम्मीद है उनका ये नॉवेल साइंस-फ़िक्शन में एक संग-ए-मील साबित होगा’
– रहमान अब्बास, साहित्य अकादेमी अवॉर्ड विनर, उर्दू नॉवलिस्ट
आख़िरी इश्क़ साइंस-फ़िक्शन और फ़ैंटेसी जॉनर में लिखा ऐसा रूमानी नॉवेल है जो उर्दू और हिन्दी पढ़ने वालों को इश्क़ के मुख़्तलिफ़ रंगों में सराबोर करता है, और जो उर्दू अदब की दुनिया में “साइंस-फ़िक्शन” को बतौर जॉनर कायम करने का हौसला रखता है।
भारत की आज़ादी के साथ ही, सरकार एक सीक्रेट प्रोजेक्ट “द गेटवे ऑफ़ पास्ट एंड फ़्यूचर” की शुरुआत हिमाचल के तीर्थन वैली में एक लैब बनवाकर करती है। यहाँ ऐसी मछलियाँ तैयार की जाती हैं, जिनकी आँखों में इंसान अपना माज़ी या मुस्तक़बिल देख सकता है। वैसी ही एक सुनहरी मछली की वजह से अल्मा और अबीर मुसलसल एक-दूसरे के ख़्वाब में आते और इश्क़ में पड़ जाते हैं।
यही सिलसिला एक ऐसी कहानी में तब्दील होता है जिसे पाठक पूरी पढ़कर ही दम लेंगे! लेकिन कहानी, क्या वो पूरी होती है, क्या कहानियाँ पूरी हो पाती हैं . . . और इश्क़ . . .
त्रिपुरारि के लेखन में ग़ज़ब सम्मोहन है। वो अपनी भाषा के साथ-साथ कथ्य से भी पाठकों को अपने मोहपाश में बाँध लेते हैं। उनके इस उपन्यास में प्रेम का एक अनूठा संसार तो खुलता है, साथ ही ये एक ऐसी कथाभूमि पर गढ़ा गया है जो अचंभित भी करता है।
– अनंत विजय, राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार विजेता पत्रकार-लेखक
Imprint: Hind Pocket Books
Published: Jan/2023
ISBN: 9780143459545
Length : 206 Pages
MRP : ₹250.00