गद्दार की कथा कृश्न चन्दर के अनुभव की कथा है—तपे हुए, देखे हुए अनुभव की। देश के विभाजन की त्रासदी की इस निराली और एक साँस में पढ़ी जानेवाली कृति को पढ़ना एक अनूठा, दुर्लभ अनुभव ही नहीं वरन् एक ऐसे चिंतन का मूल है, जो देश-विभाजन की त्रासदी पर नए तरह से सोचने को विवश करती है और उस त्रासदी से उपजे ज्वलंत और अनसुलझे प्रश्नों से पाठक को बार-बार जूझने को विवश करती है।
फूलों की रंगो-बू से सराबोर रचना से अगर आँच भी आ रही हो तो मान लेना चाहिए कि कृश्न चन्दर वहीं पूरी तरह मौजूद हैं। यही इनकी कलम की ख़ास पहचान है यानी रोमानी तेवर में खालिस इंकलाबी बात। उनकी तमाम रचनाओं में जैसे एक अर्थपूर्ण व्यंग्य, दर्द और कराह छुपी हुई है, जो हमें अद्भुत रूप से अपनी दुर्बलता के ख़िलाफ़ खड़ा करने में समर्थ है। कारण, रचनात्मकता के साथ चलनेवाला जीवन-संघर्ष जिसे उन्होंने लहू की आग में तपाया है। वस्तुतः कृश्न चन्दर की रचनाएँ हमारे समय की गहन मानवीय, सामाजिक और सियासी सच्चाइयों की पर्याया्लय हैं। वे हर पल असलियत के साथ हैं। कहना न होगा कि इस कलम के जादूगर कृश्न चन्दर की तमाम रचनाओं को बड़े चाव के साथ पढ़ा और सहेजा जाएगा। मानवीय, सामाजिक और सियासी अंतर्द्वंद्वों की अनमोल और संग्रहणीय कृति।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Nov/2024
ISBN: 9780143472254
Length : 86 Pages
MRP : ₹175.00