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दत्त भारती ने अपने इस मार्मिक उपन्यास में समाज में धीरे-धीरे शामिल हो रही कुरीतियों को आधार बनाया है। इसकी कहानी पाठक को सोचने के लिए विवश करती है और साथ ही गर्त की ओर अग्रसर समाज का यथार्थवादी चित्रण दर्शाता है कि हम विकास नहीं विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। धन के लिए मुनष्य किस स्तर तक गिर जाता है, यह इस उपन्यास में स्पष्ट कयि गया है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Dec/2023
ISBN: 9780143465324
Length : 172 Pages
MRP : ₹199.00
Imprint: Audiobook
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Dec/2023
ISBN:
Length : 172 Pages
MRP : ₹199.00
दत्त भारती ने अपने इस मार्मिक उपन्यास में समाज में धीरे-धीरे शामिल हो रही कुरीतियों को आधार बनाया है। इसकी कहानी पाठक को सोचने के लिए विवश करती है और साथ ही गर्त की ओर अग्रसर समाज का यथार्थवादी चित्रण दर्शाता है कि हम विकास नहीं विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। धन के लिए मुनष्य किस स्तर तक गिर जाता है, यह इस उपन्यास में स्पष्ट कयि गया है।
आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक दत्त भारती ने कहानी, कविताओं और लेखों के अलावा कई सौ उपन्यास लिखकर साहित्य में अपना एक अलग विशिष्ट स्थान बनाया है। घर और स्कूल से प्राप्त आर््यसमाजी संस्कार, विश्वविद्यालय का साहित्यिक वातावरण, देशभर में होने वाली राजनैतिक हलचलें, बाल्यावस्था में आर्थिक संकट इन सबने आपको अति संवेदनशील, और विचारक बना दिया, जो आपके लेखन का आधार बना। आपको समाजसेवा एवं लेखन के लिए कई पुरस्कार भी मिले हैं।